Lekh Rachnaye
शुक्रवार, 20 मई 2016
*कल* खो दिया *आज* के लिये; *आज* खो दिया *कल* के लिये; कभी जी ना सके हम *आज*;आज के लिये ;बीत रही है जिदंगी,*कल आज* और *कल* के लिये;*✍🏻
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