शुक्रवार, 20 मई 2016

नाम मिट गया है उसकाभा.ज.पा के पटल सेगौरवान्वित होते थे कभीये सारे उस अटल सेमर चुका है इन सबकी आँखों का भी वह पानीहासिये पर खड़ा हुआ हैइनका अपना आडवाणीसम्मान नहीं मिलता है जैसेघर में बूढ़ी मौसी कोये भी भूल चुके हैं वैसे मुरली मनोहर जोशी कोअता पता नहीं पार्टी में उस नेता जसवंत काकहीं सूचक तो नहीं ये भा.ज.पा के अंत कासावन के अंधों को बसमोदी ही मोदी दिखता हैचाय बेचने वाले का करोड़ों में सूट बिकता हैजनता से ये कहते थे काला धन लाने वाले हैंथोड़ा सा और सब्र करो अच्छे दिन आने वाले हैंहमको क्या पता था किऐसे अच्छे दिन आएंगेहिलने लगेगी ये धरती और फांसी किसान लगाएंगेयूं ही नहीं सब तुमकोफेंकू फेंकू कहते हैंझूठ की नीव पर बने भवनचरमरा कर ढहते हैंबातें करते हो तुम तो नारी के उत्थान कीखूब पैरवी करते हो नारी के सम्मान की लेकिन आज भी नारी कीदोनों आँखें बहती हैंजुल्म तुम्हारे ही घर मेंजशोदा बेन सहती हैपहचान लेते हैं हम तोउड़ती चिड़िया के पर कोदेश को क्या चलाओगे जब चला सके न तुम घर को मजदूरों को जकड़ रहे हो गुलामी की जंजीरो में सब अधिकार खत्म कर दिए देश के श्रम कानूनो में नौजवान को मजबूर कर दिया ठेकेदारी प्रथा में काम करोगे केवल जिंदा रहने लाइक मिलेगा वेतन इसलिए,गुलामी जिंदगी भर करोगे भारत माता कहते हो पर घर की माता को दुख देते हो क्या 300 रुपये महीने में जी सकेंगे माता पिता, इसलिए तुम झूठे हो एक तरफ कहते किसानों के लिए पैसा नहीं है दूसरी तरफ हजारों करोड़ पूँजीपतियो को देते हो इसलिए तुम सब झूठे हो क्षमा करना ,दिल दुखा हो अगर किसी भी व्यक्ति कासंविधान ने दिया मुझकोअधिकार ये अभिव्यक्ति का!

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