शुक्रवार, 20 मई 2016

गजब का रंग सिंहस्थ का.....और 2 -3 दिन मण्डली ..सब गायब हो जायेगा..वो नित्यानंद के रास्तो की भीड़...कनकेश्वरी देवी का लबालब भंडारे का पंडाल....स्टेशन से लेकर गोपाल मन्दिर होते हुए मुल्लापुरा के आगे तक की वो भीड़...नदी पद उन होमगार्ड का हमे 2 डुबकी में ही निकलना...वो माहोल...वो मस्ती...वो सजावट..वो लाइन में लग के पेसवाइ के आनंद लेना...सब गायब हो जायेगा...12 साल बाद आएगा ये मोका पता नही हम में से कोन कहा रहे ना रहे....बहुत याद आएगा ये बोलना की अरे यर परेसान हो गए रे इस भीड़ से....मेरा तो स्वयं का ये पहला अनुभव हे जो इतनी आस्था की भीड़ देखने का शौभाग्य मिला....और 2 दिन हे दोस्तों.....फिर ये पल मिले ना मिले....ये पुन्यात्माये फिर दर्शन को मिले या न मिले.... .बस 3 दिन और बचे रे अपने शहर से कुम्भ बिदा होने में..सच में..मन दुखी है..3 साल से उठा-पटक..रोज मंत्री-नेताओं के दौरे.. अधिकारियों की नियुक्ति..रोज की dpr बनना..रोज नई मांग उठना..कहीं चौड़ीकरण..कहीं तोड़-फोड़..सब बस 3 दिन का औऱ.. भई साब..बड़ा बुरा लग रहायार..जैसे किसी शादी वाले घर की चहल-पहल को बेटी बिदा होने के बाद सांप सूंघ जाता है..जैसे मेहमनों से भरा घर खाली हो जाये..जैसे लंबी छुट्टी के बाद बच्चे स्कूल चले जाएँ..ऐसे ही खाने को दौड़ेंगे हमको..ये 4 लेन..ये बड़े बड़े ब्रिज..नदी के घाट.. ये जगमगाती सड़कें..ये खेतों की जमीनें..सिंहस्थ के जाते ही हम..जो आज इस शोर-शराबे से 27 दिनों में ऊब गए..याद करेंगे इस कच-कच, भच-भच को..इस भीड़ को..इस "जाम" को..कोई नहीं होगा इन सड़कों पर..घाटों पर..नदी की गोद में..फिर खूब घूमो गाड़ी लेकर..खूब नदी में नहाओ..पर नहीं कर पाएंगे हम ऐसा..आज लड़-भिड़कर मेले में घुसना..पुलिस के विरोध पर भी घंटे भर नहाना..बस इसलिए है..कि कितना भी चिढ़ें..चिल्लाएं..पर हमारा "उज्जैनिया-मालवी"मन..मेज़बान है..इन करोड़ों श्रद्धालुओं का..उन बाबा-बबियों का..जिनके किस्से-बदनामियाँ हमने रोज सुनी-कही है..अतिथि देवो भवः की परंपरा भले ही हलकी हुई हो..पर हमारे दिल अब भी खालिस हिंदुस्तानी हैं..भिया सच मानो.. लिखते-लिखते मन भर रहा है..मन कर रहा..पैरों पे गिरके सिंगत से अनुनय करूँ.."रुक जाओ और जब तक रुक सको"..पर नहीं हो सकता ये..सब तिथि और संयोग है..जो मेरे-आपके कहने से ना बना है..न रुकेगा..बस सत्कार करलो इन लम्हों का.....ये यादे ही हे जो हमारे दिल में बसे रहेंगे....वो दोस्तों परिवारो के साथ घूमना.....वो अपने यार अपने प्यार के साथ सिंहसथ का आनंद सब यादे बन जायेगा.....बस हम कर सकते हैं तो अगले सिंहस्थ इंतज़ार..अगर ज़िंदा रहे..तो फिर मिलेंगे सिहस्थ                                                 "हमारे अपने सिंहस्थ 2016" अलविदा..!      बाबा महाकाल हमे ऐसे आनंद का अवसर देते रहे...शौभाग्यशाली हे हम अवन्तिका वासी                              ..       जय राम जी की..🙏🏻......‬: दुल्हन की तरह 🌃 सजा हुआ शेहर अपनी मुस्कान खोने को हे !! 😇सिंहस्थ अलविदा होने को हे !! ❤

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