मंगलवार, 24 मई 2016

महर्षि दयानन्द सरस्वती एक ऐसे ब्रह्मास्त्र थेजिन्हे कोई भी पंडित,पादरी,मोलवी, अघंर, ओझा, तान्त्रिक हरा नहीं पाया और न ही उन पर अपना कोई मंत्र तंत्र या किसी भी प्रकार का कोई प्रभाव छोड़ पाया।*एक ऐसा वेद का ज्ञाता जिसने सम्पूर्ण भारत वर्ष में ही नहीं अपितु पूरी दुनियां में वेद का डंका बजाया था ।* एक ऐसा ईश्वर भक्त, जिसने ईश्वर को प्राप्त करने के लिए अपना घर त्याग ही कर दिया।* एक ऐसा महान व्यक्ति जिसने लाखों की संपत्ति को ठोकर मार दी पर सत्य के राह से विचलित नहीं हुआ।* एक ऐसा दानी जिसने अपने गुरु दक्षिणा मे अपना सम्पूर्ण जीवन ही दान दे दिया ।* एक ऐसा क्रान्तिकारी जिसने सबसे पहले आजादी का बिगुल फूंक न जाने कितने लोगों के अन्दर क्रान्ति की भावना को पोषित किया...।* एक ऐसा स्वदेश भक्त जिसने सबसे पहले स्वदेशीय राज्य को सर्वोपरी कहा और अंग्रेजों के सामने ही उनका राज्य समस्त विश्व से नष्ट होने की बात कही।* एक ऐसा स्वदेशी रक्षक जिसने सबसे पहले स्वदेशीय राज्य को सर्वोपरी कहा और विदेशी राज्य में कोई सुखी नहीं रह सकता....।* एक ऐसा गौरक्षक व गौ प्रेमी जिसने सबसे पहले गौ रक्षा हेतू गौरक्षणी सभा बनाई व इसके नियमों का प्रतिपादन किया ..।* एक ऐसा निडर संन्यासी जिसने निर्भीक होकर समाज की कुप्रथाओं, कुरितीयों पर प्रहार किया ।* एक ऐसा व्यक्ति जिसने कभी भी सत्य से समझौता नहीं किया।* एक ऐसा धर्म धुरंधर जो केवल वेद का ही नहीं अपितु कुरान, पुराण, बाईबिल व अन्य मजहबी व मंत मतान्तरों वालों के ग्रन्थों का ज्ञाता था।* एक ऐसा सत्य का पुजारी जो अपनी बात डंके की चोट पर कहता था* एक ऐसा धर्म धुरन्धर जिसने सभी पाखंडो का खंडन कर सत्य की राह दिखायी....।* एक ऐसा धर्म धुरंधर जिसने इस देश का धर्मान्तरण ( ईसाईयत व ईस्लामीकरण ) होने के केवल रोका ही नही वरन् शुद्धि करके व घर वापसी द्वारा देश का धर्मान्तरण होने से रोका।आपसे प्रार्थना है कि ऋषि दयानन्द जी के सिद्धान्त और विचारों को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक प्रेषित करें ताकि भारत पुन: विश्व गुरु बन सके।

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