रविवार, 8 मई 2016

पत्नी बार बार मां पर इल्जाम लगाए जारही थी और पति बार बार उसको अपनी हद मेंरहने की कह रहा थालेकिन पत्नी चुप होने का नाम ही नही लेरही थी व् जोर जोर से चीख चीखकर कह रहीथी कि"उसने अंगूठी टेबल पर ही रखी थी और तुम्हारेऔर मेरे अलावा इस कमरें मे कोई नही आयाअंगूठी हो ना हो मां जी ने ही उठाई है।।बात जब पति की बर्दाश्त के बाहर हो गई तोउसने पत्नी के गाल पर एक जोरदार तमाचा देमाराअभी तीन महीने पहले ही तो शादी हुई थी ।पत्नी से तमाचा सहन नही हुआवह घर छोड़कर जाने लगी और जाते जाते पतिसे एक सवाल पूछा कि तुमको अपनी मां परइतना विश्वास क्यूं है..??तब पति ने जो जवाब दिया उस जवाब कोसुनकर दरवाजे के पीछे खड़ी मां ने सुना तोउसका मन भर आया पति ने पत्नी को बतायाकि"जब वह छोटा था तब उसके पिताजी गुजर गएमां मोहल्ले के घरों मे झाडू पोछा लगाकर जोकमा पाती थी उससे एक वक्त का खानाआता थामां एक थाली में मुझे परोसा देती थी औरखाली डिब्बे को ढककर रख देती थी औरकहती थी मेरी रोटियां इस डिब्बे में हैबेटा तू खा लेमैं भी हमेशा आधी रोटी खाकर कह देता थाकि मां मेरा पेट भर गया है मुझे और नहीखाना हैमां ने मुझे मेरी झूठी आधी रोटी खाकर मुझेपाला पोसा और बड़ा किया हैआज मैं दो रोटी कमाने लायक हो गया हूंलेकिन यह कैसे भूल सकता हूं कि मां ने उम्र केउस पड़ाव पर अपनी इच्छाओं को मारा है,वह मां आज उम्र के इस पड़ाव पर किसी अंगूठीकी भूखी होगी ....यह मैं सोच भी नही सकतातुम तो तीन महीने से मेरे साथ होमैंने तो मां की तपस्या को पिछले पच्चीसवर्षों से देखा है...यह सुनकर मां की आंखों से छलक उठे वह समझनही पा रही थी कि बेटा उसकी आधीरोटी का कर्ज चुका रहा है या वह बेटे कीआधी रोटी का कर्ज...

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