मंगलवार, 17 मई 2016

झाड़ू जब तक एक सूत्र में बँधी होती है, तब तक वह "कचरा" साफ करती है।लेकिन वही झाड़ू जब बिखर जाती है तो खुदकचरा हो जाती है। इस लिये हमेशा परिवार से बंधे रहे, बिखर कर कचरा न बने ।उपवास अन्न का ही नहीं, बुरे विचारों का भी करो ।सरल बनो, स्मार्ट नहीं, क्योंकि हमें ईश्वर ने बनाया है, सैमसंग ने नहीं।आपके पास मारुति हो या बीएमडब्ल्यू - सड़क वही रहेगी |आप टाइटन पहने या रोलेक्स - समय वही रहेगा |आपके पास मोबाइल एप्पल का हो या सेमसंग - आपको कॉल करने वाले लोग नहीं बदलेंगे |आप इकॉनामी क्लास में सफर करें या बिज़नस में - आपका समय तो उतना ही लगेगा |आवश्यकताएँ पूरी हो सकती है, तृष्णा नहीं | एक सत्य ये भी है कि धनवानो का आधा धन तो ये जताने में चला जाता है की वे भी धनवान हैं |कमाई छोटी या बड़ी हो सकती है....पर रोटी की साईज़ सब घर में एक जैसी ही होती है।

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