मंगलवार, 17 मई 2016

♂ व्यापारी का दर्द ♂जो दे सकते हैं काम औरों को वो खुद आज काम मांग रहे हैं पढ़े लिखे नौजवान हमारे पुश्तैनी कारोबार से दूर भाग रहे हैं .यदि ऐसा ही चलता रहा तो व्यापारी थोड़े ही रह जायेंगे विदेशी पूँजी के साथ - साथ व्यापारी भी हम विदेशी लायेंगे.मेहनत से व्यापार किया है तन, मन, धन, सब साथ लगाया पर कानूनों की जटिलताओं ने हमको ही गुनह्गार ठहराया.शिकारी भेडियों सी फौज अफसरों की हमें आँख दिखाते, धमका जाते हैं हम दाँत निपोरते, मनुहार हैं करते गुनह्गार से कंपकंपाते हैं .टैक्स, लाइसेंस की भरमार इतनी किसी भी तरह से सक नही पाते रिटर्न फ़ाइलिंग लाइसेन्स रिनिवल इनमें ही बस दिमाग लगाते.सरे आम जो घूस है खाते आदरणीय, सर, योर ऑनर कहलाते देखो इनके तेवर कैसा ये रौब दिखाते लूटेरो की इस टोली से सब है घबड़ाते.जो करते रहते जाँच हमारी उनकी भी हमसे जाँच करवाओ ज्यादा नही पर थोड़े दिनो का हमको भी अफसर बनवाओ.हम भी बनाये इनकी फाइले और जांचे इनका गोरख धंधा चौराहों पर खड़ा है कर दे इनकी पूरी फौज को नंगा.खुद की है पूँजी, खुद के है साधन ना ली कोई सुविधा, ना लिया अनुदान,खुद भी लगे, औरों को लगायाकरोड़ों करोड़ हाथो को दिया काम.शांति प्रिय हम चुप ही रहते ना कभी दंगा ना कभी फ़साद किया मेहनत से व्यापार करने का अपमान सहने का हमे ईनाम दिया.आप भी करो रेकॉर्ड मेनटेनेन्स हम भी करे रेकॉर्ड मेनटेनेन्स दोनो तरफ मेनटेनेन्स कॉस्ट आती है समय शक्ति और धन की कितनी ये बर्बादी है.जितना हम चुकाते है टैक्स,उतना ही और भी लग जाता है,जितना जाता है खजाने मे,आधा भी नही बच पाता है.हम हुए है भ्रमित और सशंकित और हुए है आतंकित भाई हम पर टैक्स टेरर की दुधारी ये तलवार काहे को है लटकाई.क्यों कर कोई हेराफेरी क्यों करे कोई चतुराई कच्चे पक्के खाता-बही की रीति अब ये मिट जाये भाई.अफसरों की ये फौज हटवा दो टैक्स, लाइसेंस का जाल कटवा दो जो जरूरी हो टैक्स लगवा दो जगह जगह नही एक साथ लगवा दो.( सभी अफसर और व्यापारी भ्रष्ट नही है, अपवाद है. सिंगल पॉइंट टैक्सेशन देश की आवश्यकता है.)व्यापारिक बंधुओं से निवेदन है ज्यादा से ज्यादा फॉरवर्ड करेंप्रति,माननीय प्रधान मंत्री श्री मोदीजी,हम वो बदनसीब व्यापारी /नागरिक हैं, जिन्होंने भारत में जन्म लिया।लगातार व्यापार व मुनाफा घट रहा है, Online की वजह से।हर साल पुराने कर्मचारियों को पगार बढ़ा के चाहिये, मुनाफा हो या ना हो ।किसी भी नये नये उत्सव के लिए खर्चा व्यापारियों से वसूला जाता है।हमारी आपको विनती है, कृपया टैक्स भरनेवाले नागरिक तथा व्यापारियों की यातनाओं पर ध्यान दें। हमारी मेहनत से जमा टैक्स से मुफ़्त में मज़े लेने वालों का बंदोबस्त किया जाय।विविध प्रकार के कर जमा करने वाले विभाग ही बंद करें ।नहीं तो हम सोच रहें है की व्यापार करना छोड़ दें। दूकान बेच के पैसों के ब्याज से ही अच्छी आमदनी होगी। कही दूर गाँव में जमीन ले के आराम से ज़िन्दगी जियेंगे। कोई टैक्स नहीं। रोज के 10 घंटे मेहनत दूसरों के लिए करके हमने हमारी जिंदगी बर्बाद कर ली।बस्स! अब इसके आगे नहीं। जो कर्मचारियों के घर हमारी वजह से चल रहे थे उनको मोदीजी आप संभाल लेना। 😡

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