मंगलवार, 17 मई 2016


एक नई कहानी बहू ने आइने में लिपिस्टिक ठीक करते हुए कहा - "माँ जी, आप अपना खाना बना लेना, मुझे और इन्हें आज एक पार्टी में जाना है ...!!"ये कहानी आप ने कई बार सुनी और पढ़ी  होगी  लेकिन, अब आगे की कहानी......बेटे ने कार वापस मोड़ ली और घर पहुंचे। रास्ते में दोनों ने तय किया कि जाते ही माँ के पैर पकड़ कर माफी मांग लेंगे। नीचे पार्किंग में कार खड़ी करके जब दोनों 10वीं मंजिल पर अपने फ्लैट में पहुंचे तो अंदर से जोर-जोर से म्यूजिक सिस्टम बजने की और कई लोगों के जोर-जोर से हँसने और बातें करने की आवाजें आ रही थीं। बेटे ने घंटी बजाई। अंदर से माँ जी की आवाज आई,  "शारदा जी, दरवाजा खोल दीजिये,  लगता है आज पिज्जा जल्दी आ गया"जब दरवाजा खुला तो सामने बगल के फ्लैट में रहने वाले शर्मा जी की माँ शारदा देवी खड़ी थीं। अंदर घर में माँजी जीन्स और पीला टॉप पहने घूम रही थीं। कमरे में उसी बिल्डिंग में रहने वाले माँ जी के हमउम्र आठ-दस महिलाएं और पुरुष थे। सभी के हाथ में ठंडी पेप्सी के ग्लास थे, और सबके पैर म्यूजिक सिस्टम में बज रहे "पानी, पानी,  पानी......."  गाने पर थिरक रहे थे। बेटे-बहू को देखकर पहले तो माँ जी कुछ सकपका गईं पर फिर उन्होंने संभलते हुए कहा, "क्या हुआ बेटा, पार्टी कैंसिल हो गई क्या? कोई बात नहीं, हमारी ज्वॉइन कर लो, मैं तीन पिज्जा और ऑर्डर कर देती हूँ।" Moral - मोरल वोरल कुछ नहीं!बस आजकल के बुजुर्गों को बेबस, लाचार और कमजोर समझने की गल्ती कभी मत करो, क्योंकि तुम आज जिस स्कूल में पढ़ रहे हो,  वो कभी वहाँ के हेडमास्टर थे।

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