बुधवार, 18 मई 2016

एक औरत ने तीन संतों को अपने घर के सामने देखा। वह उन्हें जानती नहीं थी।औरत ने कहा – “कृपया भीतर आइये और भोजन करिए।”संत बोले – “क्या तुम्हारे पति घर पर हैं?”औरत – “नहीं, वे अभी बाहर गए हैं।”संत –“हम तभी भीतर आयेंगे जब वह घर पर हों।”शाम को उस औरत का पति घर आया और औरत ने उसे यह सब बताया।पति – “जाओ और उनसे कहो कि मैं घरआ गया हूँ और उनको आदर सहित बुलाओ।”औरत बाहर गई और उनको भीतर आने के लिए कहा।संत बोले – “हम सब किसी भी घर में एक साथनहीं जाते।”“पर क्यों?” – औरत ने पूछा।उनमें से एक संत ने कहा – “मेरा नाम धन है”फ़िर दूसरे संतों की ओर इशारा कर के कहा –“इन दोनों के नाम सफलता और प्रेम हैं।हममें से कोई एक ही भीतर आ सकता है।आप घर के अन्य सदस्यों से मिलकर तय कर लें कि भीतर किसे निमंत्रित करना है।”औरत ने भीतर जाकर अपने पति को यह सब बताया।उसका पति बहुत प्रसन्न हो गया औरबोला –“यदि ऐसा है तो हमें धन को आमंत्रितकरना चाहिए। हमारा घर खुशियों से भर जाएगा।”पत्नी – “मुझे लगता है कि हमें सफलता को आमंत्रित करना चाहिए।”उनकी बेटी दूसरे कमरे से यह सब सुन रही थी। वह उनके पास आई और बोली – “मुझे लगता है कि हमें प्रेम को आमंत्रित करना चाहिए। प्रेम से बढ़कर कुछ भी नहीं हैं।”“तुम ठीक कहती हो, हमें प्रेमको ही बुलाना चाहिए” – उसके माता-पिता नेकहा।औरत घर के बाहर गई और उसने संतों से पूछा – “आप में से जिनका नाम प्रेम है वे कृपया घर में प्रवेश कर भोजन गृहण करें।”प्रेम घर की ओर बढ़ चले।बाकी के दो संत भी उनकेपीछे चलने लगे।औरत ने आश्चर्य से उन दोनों से पूछा – “मैंनेतो सिर्फ़ प्रेम को आमंत्रित किया था। आप लोगभीतर क्यों जा रहे हैं?”उनमें से एक ने कहा – “यदि आपने धन और सफलता में से किसी एक को आमंत्रित किया होता तो केवल वही भीतर जाता।आपने प्रेम को आमंत्रित किया है।प्रेम कभी अकेला नहीं जाता। प्रेम जहाँ-जहाँ जाता है, धन और सफलता उसके पीछे जाते हैं।इस कहानी को एक बार, 2 बार, 3 बारपढ़ें ........अच्छा लगे तो प्रेम के साथ रहें,प्रेम बाटें, प्रेम दें और प्रेम लेंक्यों कि प्रेम ही सफल जीवन का राज है।

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